अब AI 16 घंटे पहले तक रोगी की स्थिति खराब होने की भविष्यवाणी कर सकता है
इस तकनीक से स्वास्थ्यकर्मियों को समय रहते हस्तक्षेप करने और जान बचाने का महत्वपूर्ण समय मिल सकता है।
यह बात ध्यान देने योग्य है कि एक पर्यवेक्षणीय अध्ययन में 700 से अधिक रोगियों को 85,000 घंटों तक मॉनिटर किया गया और दिखाया गया कि **डूज़ी का सतत संपर्क रहित रिमोट पेशेंट मॉनिटरिंग और अर्ली वार्निंग सिस्टम (EWS)** परंपरागत मैनुअल प्रक्रियाओं को कैसे क्रांतिकारी रूप से बदल सकता है।
आज जब एआई हमारे जीवन का महत्वपूर्ण हिस्सा बन रहा है, यह साबित हो चुका है कि यह जान बचाने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है। यह हाल ही में भारतीय तृतीयक देखभाल (tertiary care) के सबसे बड़े पर्यवेक्षणीय अध्ययनों में से एक में साबित हुआ। यह अध्ययन लखनऊ स्थित किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी (KGMU) में किया गया। अध्ययन के अनुसार, **डूज़ी के एआई-सक्षम अर्ली वार्निंग सिस्टम ने रोगियों की स्थिति खराब होने की भविष्यवाणी 16 घंटे पहले तक करने की क्षमता दिखाई**, जिससे स्वास्थ्यकर्मियों को समय रहते कदम उठाने और जान बचाने का अवसर मिलता है।
### **प्रमुख निष्कर्ष**
डूज़ी ने इस अध्ययन के निष्कर्षों को अंतरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त जर्नल *फ्रंटियर्स इन मेडिकल टेक्नोलॉजी* में प्रकाशित किया है। भारत जैसे देश में, जहां 20 लाख अस्पताल बिस्तर हैं और लगभग 19 लाख मरीजों को जनरल वार्ड में मैनुअल मॉनिटरिंग पर निर्भर रहना पड़ता है, एआई-सक्षम रिमोट मॉनिटरिंग सिस्टम स्वास्थ्य सेवाओं को पूरी तरह से बदल सकता है। यह निरंतर मॉनिटरिंग सेवा प्रदान करता है, जो आईसीयू सेवाओं की तुलना में किफायती है और उच्च गुणवत्ता वाली स्वास्थ्य देखभाल सुनिश्चित करता है।
यह अध्ययन 700 से अधिक रोगियों पर 85,000 घंटे तक चला और दिखाया कि डूज़ी का ईडब्ल्यूएस पारंपरिक मैनुअल प्रक्रियाओं को बदलने में सक्षम है। **16 घंटे पहले अलर्ट** देने की क्षमता के साथ, यह प्रणाली स्वास्थ्यकर्मियों को पहले ही कार्रवाई करने का मौका देती है, जिससे रोगी के परिणाम बेहतर होते हैं। यह प्रणाली स्वास्थ्यकर्मियों का प्रतिदिन 2.4 घंटे समय भी बचाती है।
### **डूज़ी के प्रमुख लाभ**
1. **समय पर हस्तक्षेप:** स्थिति बिगड़ने से पहले चेतावनी देकर जीवन रक्षक उपाय संभव बनाता है।
2. **लगातार निगरानी:** हृदय गति, श्वसन दर और रक्तचाप जैसे आवश्यक मापदंडों को लगातार ट्रैक करता है।
3. **किफायती समाधान:** आईसीयू सेवाओं की तुलना में कम लागत में व्यापक स्वास्थ्य देखभाल।
4. **बेहतर परिणाम:** समय पर निगरानी और उपचार से मृत्यु दर कम हो सकती है।
### **विशेषज्ञों की राय**
**डॉ. हिमांशु डांडू**, केजीएमयू के मेडिसिन विभाग के प्रोफेसर, ने कहा, "यह प्रणाली संसाधन सीमित वातावरण में गंभीर देखभाल बढ़ाने की क्षमता रखती है। शुरुआती पहचान और सतत मॉनिटरिंग के माध्यम से, यह प्रणाली स्वास्थ्य प्रणाली में भारी रोगी भार का सामना करने के लिए एक किफायती और स्केलेबल समाधान प्रदान करती है।"
**डॉ. जीन-लुइस टेबूल**, पेरिस-सैकले यूनिवर्सिटी के क्रिटिकल केयर एक्सपर्ट, ने कहा, "भारत में जो हासिल हुआ है, उसकी वैश्विक स्वास्थ्य देखभाल को पुनर्परिभाषित करने की क्षमता है। भले ही चुनौतियां अलग हों, लेकिन समान, समय पर और किफायती देखभाल की आवश्यकता वैश्विक है।"
### **भारत में स्वास्थ्य सेवा का भविष्य**
भारतीय अस्पतालों में, निरंतर मॉनिटरिंग केवल आईसीयू तक सीमित है, जिससे जनरल वार्ड में अधिकांश मरीज बिना देखे रह जाते हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि डूज़ी जैसे उपकरण इस कमी को पूरा कर सकते हैं।
**अर्ली डिटेक्शन** के माध्यम से, हर साल 21 लाख लोगों की जान बचाई जा सकती है और स्वास्थ्य खर्चों में ₹6400 करोड़ की कमी की जा सकती है।
**डूज़ी के सह-संस्थापक और सीटीओ गौरव पर्चानी** ने कहा, "यह अध्ययन हमारे विश्वास की पुष्टि करता है कि यह तकनीक स्वास्थ्य सेवा को अधिक कुशल, सुलभ और समान बना सकती है। हम न केवल भारत के लिए समाधान तैयार कर रहे हैं बल्कि वैश्विक स्वास्थ्य सेवा का आधार भी बना रहे हैं।"
### अध्ययन में शामिल प्रमुख विशेषज्ञ
इस अध्ययन को केजीएमयू के डॉ. हिमांशु डांडू, डॉ. अंबुज यादव, डूज़ी की क्लीनिकल रिसर्च टीम, और अंतरराष्ट्रीय विशेषज्ञों ने लिखा है। यह अध्ययन अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ध्यान आकर्षित कर रहा है और भविष्य की स्वास्थ्य सेवाओं का रास्ता साफ कर रहा है।